Monday, June 22, 2009

एक कविता - एक विचार

उस क्षण तक जीने देना मुझको

जब मै और वह

एक डूबते जहाज़ के डेक पर सहसा मिलें ,

दो पल तक ना पहचान सकें एक- दूसरे को

फ़िर मै पूछूं

'कहिये, आपका जीवन कैसा रहा?'

"मेरा..........? आपका कैसा रहा?'

'मेरा.............?'

और जहाज़ डूब जाए।

*****************

अनेक बातें अपनी शक्ति, सीमा और अधिकार से परे होती हैं। मन धीरे- धीरे उनसे समझौता कर लेता है- भले ही कड़वाहट के साथ।

************************

Monday, June 1, 2009