एक कविता, एक विचार
हमने सब कुछ जिया- बस जिया नहीं अपने को
हमने रिश्ते जिए- प्यार नहीं.
पद जिए- सार नहीं.
अभिमान जिया- ह्रदय नहीं.
दीवारें जीं- विस्तार नहीं.
शब्द जिए- प्राण नहीं.
समेटते रहे बिखरे हुए क्षणों का कूड़ा
जीवन के नाम पर.
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ऐसी मानवीय भावनाएं और विचार भी होते हैं जो वक्त की हलकी
सी हवा में भी उड़ जाते हैं. मगर कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें जिंदगी के तेज़ से
तेज़ तूफ़ान भी न तो इधर उधर बिखेर सकते हैं और ना ही उड़ा सकते हैं.